एसबीआई की रिपोर्ट में खुलासा…घरेलू शेयर बाजारों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी

 एसबीआई की रिपोर्ट में खुलासा…घरेलू शेयर बाजारों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी

नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजारों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। आंकड़ों के अनुसार, हर चार 4 नए निवेशकों में से लगभग एक निवेशक महिला है। भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाजारों में भागीदारी बढऩे के साथ ही 2021 से हर साल लगभग तीन करोड़ नए डीमैट खाते खुले हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 से, औसतन हर साल लगभग 30 मिलियन नए डीमैट खाते खुले हैं, उनमें लगभग हर 4 में से 1 महिला निवेशक है। भारत भर के शेयर बाजारों में महिलाओं की भागीदारी में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है,निवेशकों के पंजीकरण के मामले में दिल्ली सबसे आगे है, उसके बाद महाराष्ट्र और तमिलनाडु का स्थान है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 22 से व्यक्तिगत निवेशक पंजीकरण में महिलाओं की भागीदारी में क्रमिक वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 2025 के लिए अब तक की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में बड़े राज्यों में सबसे अधिक 29.8 प्रतिशत महिला प्रतिनिधित्व है, उसके बाद महाराष्ट्र (27.7 प्रतिशत) और तमिलनाडु (27.5 प्रतिशत) का स्थान है। ये आंकड़े राष्ट्रीय औसत 23.9 प्रतिशत से काफी अधिक हैं।

बिहार, यूपी और ओडिशा में महिला निवेशक कम
इसके विपरीत, बिहार (15.4 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (18.2 प्रतिशत) और ओडिशा (19.4 प्रतिशत) जैसे राज्यों में महिलाओं की भागीदारी का स्तर 20 प्रतिशत से कम है, जो लैंगिक समावेशन में क्षेत्रीय असमानताओं को दर्शाता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ अपवादों को छोडक़र, अधिकांश राज्यों में वित्त वर्ष 2025 की तुलना वित्त वर्ष 2022 से करने पर महिलाओं की भागीदारी दर में राष्ट्रीय औसत से अधिक वृद्धि देखी गई है। यह प्रगति, हालांकि अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग है। वित्तीय बाजारों में अधिक लैंगिक समावेशन की दिशा में सकारात्मक रुझान का संकेत देती है। रिपोर्ट में वित्तीय बाजारों के भौगोलिक प्रभुत्व में बदलाव के बारे में भी बताया गया है। इसके अनुसार पश्चिमी क्षेत्र पारंपरिक रूप से पूंजी बाजार गतिविधि का केंद्र रहा है। हालांकि, अब बेंगलुरु, हैदराबाद और कानपुर जैसे शहरों में भी निवेशकों की गतिविधि बढ़ रही है।
 बचत करने के तरीके में आया बदलाव
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में भारतीय परिवारों के बचत पैटर्न में भी महत्वपूर्ण बदलाव आया है। रिपोर्ट के अनुसार पारंपरिक बैंक जमा से म्यूचुअल फंड और जीवन बीमा की ओर धन का प्रवाह बढ़ रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंक जमा में घरेलू बचत का हिस्सा, जो 2021 में 47.6 प्रतिशत था, 2023 में घटकर 45.2 प्रतिशत रह गया। इस बीच, जीवन बीमा फंड में घरेलू निवेश में वृद्धि देखी गई है। यह 2021के 20.8 प्रतिशत से बढक़र 2023 में 21.5 प्रतिशत हो गया। घरेलू बचत में म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी भी बढ़ी है, जो 2021 में 7.6 प्रतिशत से बढक़र इस अवधि में 8.4 प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय बचत में, बैंक जमा/मुद्रा की हिस्सेदारी घट रही है क्योंकि निवेश के नए रास्ते (जैसे म्यूचुअल फंड, आदि) उभर रहे हैं। रिपोर्ट में शुद्ध वित्तीय बचत के रुझानों पर भी प्रकाश डाला गया है। कुल घरेलू बचत में उनकी हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, यह वित्त वर्ष 14 के 36 प्रतिशत से बढक़र वित्तीय वर्ष 2021 में लगभग 52 प्रतिशत हो गई है।

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